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ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया || आचार्य प्रशांत: ये बहार ये समां कह रहे हैं प्यार कर

2019-11-29 12 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१९ जून, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />गीत: ये ज़िंदगी उसी की है<br /><br />ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया<br /><br />प्यार ही में खो गया, ये ज़िंदगी …<br /><br />ये बहार, ये समा, कह रहा है प्यार कर<br /><br />किसी की आरज़ू में अपने दिल को बेक़रार कर<br /><br />ज़िंदगी है बेवफ़ा…<br /><br />ज़िंदगी है बेवफ़ा, लूट प्यार का मज़ा<br /><br />ये ज़िंदगी …<br /><br />धड़क रहा है दिल तो क्या, दिल की धड़कनें ना सुन<br /><br />फिर कहां ये फ़ुर्सतें, फिर कहाँ ये रात-दिन<br /><br />आ रही है ये सदा…<br /><br />आ रही है ये सदा, मस्तियों में झूम जा<br /><br />ये ज़िंदगी …<br /><br />दो दिल यहाँ न मिल सके, मिलेंगे उस जहान में<br /><br />खिलेंगे हसरतों के फूल, मौत के आस्मान में<br /><br />ये ज़िंदगी चली गई जो प्यार में तो क्या हुआ<br /><br />ये ज़िंदगी …<br /><br />सुना रही है दास्तां, शमा मेरे मज़ार की<br /><br />फ़िज़ा में भी खिली रही, ये कली अनार की<br /><br />इसे मज़ार मत कहो, ये महल है प्यार का<br /><br />ये ज़िंदगी …<br /><br />ऐ ज़िंदगी की शाम आ, तुझे गले लगाऊं मैं<br /><br />तुझी में डूब जाऊं मैं<br /><br />जहाँ को भूल जाऊं मैं<br /><br />बस एक नज़र मेरे सनम, अल्विदा, अल्विदा<br /><br />अल्विदा … अल्विदा …<br /><br />अल्विदा … अल्विदा …<br /><br />गीत: ये ज़िंदगी उसी की है<br />फ़िल्म: अनारकली (१९५३)<br />बोल: राजेंद्र कृष्ण<br />संगीतकार: लता मंगेशकर<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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